सूनी गोद भर देंगी तपेश्वरी माता
18 Mar 2018 07:21
कानपुर. चैत्र नवरात्र की शुरूआत आज से हो गई। कानपुर के सभी देवी मंदिरों में सुबह से भंक्तों की लंबी-लंबी कतारें लगीं और मां के जयकारों की गूंज से पूरा परिसर सराबोर हो गया। शहर के शिवला स्थित ऐतिहासिक तपेश्वरी मंदिर पर भक्तों ने चार देवियों की पूजा-अर्चना के लिए सैकड़ों की संख्या में भक्त भोर पहर पहुंच गए और विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर मन्नत मांगी। मंदिर के पुजारी ने बताया कि इन चार मूर्तियों में मां सीता की मूर्ति कौन सी है इसे आज तक कोई नहीं पहचान पाया। भक्त चारों माताओं की पूजा कर मन्नत मांगते हैं। पुजारी के मुताबिक जिन महिलाओं की गोद सूनी होती है वह यहां आकर हाजिरी लगाएं तो उनकी मुराद मातारानी की कृपा से पूरी हो जाती है। इसी के चलते इस मंदिर पर पुरूषों की अपेक्षा महिलाएं छोटे-छोटे बच्चों को लेकर आती हैं और उनका मुंडन और कर्णछेदन करवातीं हैं।
मां सीता ने करवाया था लव-कुश का कर्णछेदन
बिरहाना रोड पटकापुर स्थित मां तपेश्वरी देवी का मंदिर रामायण काल से जुड़ा है। मान्यता कि इस मंदिर में माता सीता ने आकर तप किया था और लवकुश मुंडन और कर्णछेदन का शुभ कार्य भी यहीं किया गया था। मंदिर के पुजारी राधेश्याम ने बताया माता सीता बिठूर से आकर इस मंदिर में तप करती थीं। यहां पर एक मठ भी निकला, जिसको माता सीता के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि में हर दिन यहां हजारों भक्त दर्शन को आते हैं। पुजारी के मुताबिक जिन दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ति नहीं होती, वह यहां आकर चारों देवियों के दर पर माथा टेकते हैं। मातारानी की कृपा से अगली साल नवरात्र पर उनके आंगन में बच्चे की किलकारियों की गूंज सुनाई देती है। वह उन्हें लेकर मंदिर आते हैं और विधि-विधान से मुंडन और कर्णछेदन करवाते हैं।
ऐसे मां तपेश्वरी पड़ा नाम
मंदिर के पुजारी ने बताया कि सैकड़ों साल पहले मां सीता कानपुर के बिठूर कस्बे में ठहरी थीं। यहीं पर लव और कुश का जन्म हुआ था। मां सीता ने भगवान राम को पाने के लिए यहां पर तप किया था। मां सीता के साथ तीन अन्य कमला, विमला और सरस्वती महिलाओं ने तप किया था। इसी के चलते इसका नाम तपेश्वरी मंदिर पड़ा। इस मंदिर पर चार देवियों कमला, विमला,सरस्वती और मां सीता विद्यमान हैं। मगर ये कोई नहीं जानता कौन सी मूर्ति किसकी है। ये रहस्य आज भी बना हुआ है कि इन चारो मूर्ति में कौन सी मूर्ति माता सीता की है। इस मंदिर में पूजन करने आने वाली महिला भक्तो में रेखा निगम के मुताबिक़ वो पूरे नवरात्र माता तपेश्वरी की दर्शन पूजन जरूर करती है। वो पिछले 20 सालो से इस मंदिर में आ रही है। वही एक भक्त अंजली त्रिपाठी के मुताबिक़ इस मंदिर में वो दर्शन पूजन के लिए तब से आ रही है जब वो महज 10 साल की थी। देवी मां के दर्शन करने से आजतक इन्हे कोई परेशानी नहीं हुई। नौबस्ता से आए श्रीवास्तव दंपत्ति ने बताया कि मां की कृपा से उनके घर पर बच्चे की किलकारियों की गूंज सुनाई दी है। इसी के चलते उसका कर्णछेदन करवाने के लिए आए हैं।
चारों माताओं में भक्तों की अटूट आस्था
तपेश्वरी देवी के मंदिर परिसर पर चार देवियों की मूर्तियां विराजमान है,लेकिन इन चारों में से सीता मां की मूर्ति कौन सी है ? कोई नहीं बता सकता। मंदिर के पंडित राधेश्याम ने बताया कि यहां मां सीता के साथ तीन और महिलाओं ने भी यहीं पर तप किया था। उसी के बाद से इस मंदिर में चार देवियों की मूर्तियां स्थापित की गई। इसमें से मां सीता की मूर्ति कौन सी है,आजतक यह रहस्य बना हुआ है। तपेश्वरी मां के दरवार में रविवार की सुबह भक्तों का तांता लगा रहा। भक्तों की मन्नत माता रानी पूरा करती है। वहीं नवरात्र के लिए मंदिर में ख़ास इंतज़ाम किये गए है। भक्तों की भीड़ को देखते हुए महिला और पुरुष की अलग लाइन होंगी। बैरिकेटिंग, सीसीटीवी कैमरे, मंदिर की धुलाई सभी चीज़ें सुचारू रूप से व्यवस्थित की गयी हैं। मंदिर के पट सुबह 4 बजे से खोल दिए गए। प्रशाशन की व्यवस्था भी चाक-चौबंद देखने को मिली।
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