नोएडा के सेक्टर-132 स्थित नामी स्टेप बाई स्टेप स्कूल में विषाक्त भोजन खाने से बृहस्पतिवार को 50 से ज्यादा बच्चों की जान पर बन आई। घटना छिपाने के लिए स्कूल प्रबंधन ने बीमार बच्चों को तुरंत अस्पताल पहुंचाने की जगह डॉक्टरों की टीम बुला ली। बाद में 20 बच्चों को गंभीर हालत में नोएडा के जेपी, मैक्स और दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया।
स्कूल प्रबंधन ने मामले में पुलिस-प्रशासन की जांच टीम को कोई सहयोग नहीं किया। रात करीब नौ बजे तक, चार घंटे बाद भी जांच टीम स्कूल के बाहर खड़ी रही, लेकिन अंदर घुसने नहीं दिया गया। सिर्फ खाद्य विभाग की टीम ही स्कूल में प्रवेश कर सकी, टीम ने खाद्य पदार्थों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे।
पुलिस के अनुसार, उन्हें शाम करीब पांच बजे मीडिया से स्कूल में आलू का पराठा खाने से बच्चों के बीमार होने की सूचना मिली। थाना एक्सप्रेसवे पुलिस स्कूल पर जांच करने पहुंची तो उन्हें घुसने नहीं दिया गया। पुलिस ने स्कूल प्रबंधन से ब्योरा लेने का प्रयास किया गया, लेकिन जानकारी नहीं दी गई। इसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी गई। क्षेत्राधिकारी प्रथम पीयूष कुमार सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट महेंद्र कुमार और खाद्य विभाग के अधिकारी संजय शर्मा मौके पर पहुंचे। रात करीब नौ बजे तक चार घंटे बाद भी जांच टीम को स्कूल प्रबंधन ने अंदर घुसने नहीं दिया। सिटी मजिस्ट्रेट महेंद्र कुमार ने बताया कि मामले में पुलिस, प्रशासन और खाद्य विभाग की टीम गठित कर जांच कराई जाएगी।
80 बच्चे हो सकते हैं बीमार
क्षेत्राधिकारी प्रथम पीयूष कुमार सिंह ने बताया कि कुछ लोग 15-20 बच्चे तो कोई 80 बच्चों के बीमार होने की बात बता रहे हैं। स्कूल प्रबंधन की तरफ से स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा रही है। स्कूल प्रबंधन ने घटना छिपाने के लिए स्कूल में डॉक्टरों की टीम बुलाकर बीमार बच्चों का इलाज कराया। 20 से ज्यादा बच्चों की हालत बिगड़ने पर काफी देर बाद उन्हें नोएडा के जेपी, मैक्स और जसोला दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया।गुरुवार रात नौ बजे तक बच्चे अस्पताल आ रहे थे। जेपी अस्पताल में 12, अपोलो दिल्ली में 6 और मैक्स नोएडा में 3 बच्चों के भर्ती होने की सूचना है। कुछ अभिभावकों ने अपने बच्चों का खुद निजी अस्पताल और डॉक्टरों के पास इलाज कराया है। फिलहाल पुलिस को किसी ने शिकायत नहीं दी है। किसी के शिकायत न देने पर पुलिस खुद रिपोर्ट दर्ज कर स्कूल के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने और बच्चों को विषाक्त भोजन देने के लिए सख्त कार्रवाई करेगी।स्कूल प्रबंधन ने अभिभावकों को मीडिया से बात न करने की दी चेतावनीबच्चों की तबियत बिगड़ने के बाद स्कूल में इलाज कराने की वजह से उन्हें घर पहुंचने में देरी होने वाली थी। इसलिए स्कूल प्रबंधन को मजबूरी में बच्चों के अभिभावकों को सूचित करना पड़ा। बताया जा रहा है कि स्कूल प्रबंधन ने अभिभावकों को सूचित करने के साथ ही चेतावनी भी दी कि वह इस संबंध में मीडिया को कोई जानकारी न दें न ही कहीं शिकायत करें, अन्यथा उनके बच्चे को स्कूल से निकाल दिया जाएगा।
बीमार बच्चों को छोड़ स्कूल के अधिकारी चले गए घर
स्कूल प्रबंधन की लापरवाही का आलम ये है कि बीमार बच्चों को निचले स्तर के कर्मचारियों के भरोसे छोड़ शाम को ज्यादातर अधिकारी घर चले गए। मामले में स्कूल के वित्त अधिकारी सुजीत पांडेय से दो बार बात करने का प्रयास किया गया। पहली बार शाम 6:02 बजे सुजीत पांडेय ने घटना की जानकारी से इंकार कर दिया। दूसरी बार शाम 7:16 बजे सुजीत पांडेय ने बताया कि वह रास्ते में हैं और गाड़ी चला रहे हैं। करीब एक घंटे में स्कूल पहुंचकर कुछ बता सकेंगे। फिलहाल उनके पास कोई जानकारी नहीं है।2016 में भी हुई है ऐसी घटनाबताया जा रहा है कि वर्ष 2016 में भी स्कूल में इस तरह का हादसा हो चुका है। उस वक्त स्कूल प्रबंधन ने सत्ता में मजबूत पकड़ होने की वजह से पुलिस-प्रशासन को चंगुल में ले लिया था। बताया जा रहा है कि स्टेप बाई स्टेप स्कूल प्रबंधन की शासन स्तर के अधिकारियों और राजनीतिक गलियारे में मजबूत पकड़ है। इसी वजह से स्कूल प्रबंधन ने घटना के बाद जांच करने पहुंची टीम को अंदर तक घुसने नहीं दिया।
गुरुवार को सवेरे 11 बजे बच्चों के पेट में दर्द शुरू हुआ
-11.45 पर डॉक्टरों की टीम स्कूल पहुंची
-1.30 बजे स्कूल की तरफ से अभिभावकों को सूचना दी गई
-2 बजे डॉक्टरों की सलाह पर बच्चे अस्पतालों में भर्ती कराए गए
-4 बजे के करीब सूचना पाकर चौकी इंचार्ज स्कूल पहुंचा
-5 बजे खाद्य विभाग की टीम जांच करने स्कूल पहुंची, प्रवेश नहीं
-6 बजे खाद्य अभिहीत अधिकारी टीम के साथ पहुंचे, सैंपल लिए
-7 बजे सिटी मजिस्ट्रेट व अन्य अधिकारी पहुंचे
-9 बजे तक स्कूल के गेट पर प्रशासन व पुलिस अधिकारी रहे, प्रवेश नहीं
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